शोहरतगढ़- श्रीराम जानकी मंदिर परिसर में चल रहे श्रीराम कथा में श्रीराम-सीता जी का विवाह प्रसंग सुन भावविभोर हुए श्रोता

पर्दाफाश न्यूज़ टीम
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर
शोहरतगढ़ के श्रीराम जानकी मंदिर परिसर में आयोजित श्रीराम कथा के विश्राम दिवस की कथा में अयोध्या धाम से पधारे श्रद्धेयश्री स्वामी सूर्यकांताचार्य जी महाराज ने श्रीराम और जानकी जी के विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि गुरु विश्वामित्र जी राम और लक्ष्मण को लेकर के जनकपुर धनुष यज्ञ में पहुंचे जहां पर राम जी ने नगर भ्रमण किया और राम जी को देख कर के वहां के नर नारी मोहित हो गए। श्री महाराज जी ने कथा में यह भी कहा कि भगवान का स्वरूप अपरिवर्तनीय है भगवान को कोई भी देखे तो निश्चित रूप से वह मोहित हो जाता है और मनुष्य का स्वरूप परिवर्तनीय है। मनुष्य के पास जो कुछ भी है हमेशा नही रहता, इसीलिए मनुष्य को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। धनुष यज्ञ का आयोजन हुआ उस यज्ञ में श्री राम और लक्ष्मण जी के साथ विश्वामित्र जी भी पधारे। बहुत से राजाओं ने मिलकर के उस धनुष को उठा तक नहीं पाये। जनक जी कहने लगे,... हमें लग रहा है कि यह पृथ्वी वीरों से खाली है इस वचन को सुनकर के लखन जी को क्रोध आया और गुरु वशिष्ठ की आज्ञा को लेकर के रामजी ने धनुष को भंग कर दिया। जानकी जी ने प्रभु श्री राम को वरमाला पहनाया। दशरथ जी को यह सूचना मिली तो भरत और शत्रुघ्न जी को लेकर के जनकपुर पधारे हैं जहां पर चारों भाइयों का दिव्य विवाह संपन्न हुआ।
इस अवसर पर श्रोता भावविभोर होकर के सुंदर भजनों को श्रवण करते हुए नृत्य करने लगे। इस अवसर पर महाराज जी के साथ संगत कर रहे भजन गायक कृष्णा शुक्ला, पैड वादक जयजय राम जी, आचार्य राम प्रकाश दास जी, पंडित अमर वैदिक जी, तबला वादक महेश जी तथा शिवपूजन उर्फ भोलेनाथ वर्मा, किशोरी लाल गुप्ता, टिंकू वर्मा, पंडित शांति नारायण त्रिपाठी, दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी, सर्वेश पाल के सहित अनेकों श्रद्धालु उपस्थित रहे।